जिन्हें राष्ट्रपति ने गुण्डे कहा अखबार ने उन्हें शहीद कहा
अमलेन्दु उपाधयाय
6 दिसंबर बीत गया लेकिन बहुत से जख्मों को कुरेद गया। अखबारों में छपी खबरों को देखकर यह साफ हो गया कि सांप्रदायिक ताकतों ने लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर कब्जा कर लिया है।
याद होगा जब 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद शहीद की गई थी तब तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा ने बाबरी मस्जिद गिराने वालों को 'गुण्डे' कहा था। लेकिन 6 दिसंबर 2009 के एक अखबार ने जो गांधी जी के समय से कांग्रेस समर्थित अखबार कहा जाता है, इन गुण्डों के लिए 'शहीद' शब्द का प्रयोग किया है। ऐसा तब है जब यही अखबार बाबरी मस्जिद शहीद किए जाने की निन्दा भी कर रहा है। बाबरी मस्जिद गिराने वाले गुण्डों को शहीद कहना इस देश पर मर मिटने वाले देशभक्त शहीदों का अपमान है।
वैसे तो लगभग हर अखबार ने बाबरी मस्जिद के लिए 'विवादित ढांचा' शब्द का प्रयोग किया है। मीडिया इस विषय में स्वयंभू जज बन गया है। सवाल यह है कि ढांचा विवादित कैसे हो गया? विवादित तो वह तथाकथित मंदिर है जिसने अपने निर्माण से पहले ही हजारों बेगुनाह इंसानों की बलि ले ली है और जहां बिना प्राण प्रतिष्ठा के मूर्तियों की पूजा होने लगी है।
बेवकूफी भरी बातें पढ़कर समय बर्बाद कर लिया, अब नहीं आयेंगे.
जवाब देंहटाएंहँसने को मन चाहता है आपकी बातों पर....
जवाब देंहटाएंकहने को तो चन्द्रशेखर आज़ाद को भी लोग आतंकवादी कहते है, क्या फर्क पड़ता है. हमारे लिए तो सम्मानित ही रहेंगे.
कभी मन्दीर तोड़ मस्जिद बनी थी, फिर उसे विवादित ढ़ांचा क्यों नहीं कहा जाना चाहिए?
Mandir to vivadit hai hi nahin. Vivadit to masjid thi jo mandir ko tod kar banai gai thi. par shayad aapke hisaab se bharat ka itihaas mughlo ke aane ke baad se hi shuru hota hai...
जवाब देंहटाएंteeno tippniyo se sahmat .
जवाब देंहटाएंaapne bilkul sahi baat kahi hai.
जवाब देंहटाएंहिन्दीकुंज
मुझे तो लगता है कि "विवादित" तो तुम ही हो, जिसे यह भी नहीं पता कि "विवादित" कहने का आधार क्या होता है?
जवाब देंहटाएंफ़ासीवाद के ध्वजवाहक की भूमिका निभा रहा है मीडिया। और कुछ नहीं। 'विवादित ढांचा' कह कर ख़ुद को तटस्थ और निष्पक्ष दिखाने का ढोंग भी खुलेगा ही देर-सबेर।'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध'।
जवाब देंहटाएंsir namaskar to kya ap chahte hai ki sankar dayal sharma ji dwara di gayi ''gundo'' ki upathi sahi thi. kya apne swabhiman ki rachha karna gundagardi hai........
जवाब देंहटाएंsorry mai apse chota hu par apki bat se bilkul sahamat nahi hu.
Sayad apko bura lage to mujhhe maf kariyega par mai us ladhayi ka parinam chahta hu jo aj fir librhainm report ne chhupane ki koshish kari hai
mandir to vahi banana chahiye ab yah vishva ke ek matra hindu rashtra ka saval hai................
nice
जवाब देंहटाएंAkhbaar ka naam bhi likhte to accha rahta. baat adhuri lagti hai.
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaha amlendu ji...manav sabhyta ke is mukaam tak akar dhaarmik jhagde bahut niraash karte hain aur aisi raajneeti bhi.bebaak lekhan ki dhaar aise hi banaye rakhiye.
जवाब देंहटाएंघटिया सोच का लेखक पता नही क्या लिख रह है।
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