शुक्रवार, 30 जनवरी 2009

चीर हरण करते बहन जी के माननीय

चीर हरण करते बहन जी के माननीय
जब मायावती ने मुलायम सिंह सरकार को अपदस्थ कर प्रदेश में स्पष्ट बहुमत हासिल किया था तब प्रदेश की जनता ने इस उम्मीद के साथ बसपा सुप्रीमो का स्वागत किया था कि अब बहन जी अपना वायदा निभायेंगी और गुंडों और अपराधियों पर लगाम कसेंगीं, लेकिन स्थिति 'चूल्हे से निकले, भाड़ मेें गिरे' वाली हो गई है।
एक टीवी एंकर ने अति उत्साह में मायावती के आगमन को सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से बड़ी घटना करार दिया था और तमाम तथाकथित बड़े राजनीतिक समीक्षकों ने इसे अपराध के खिलाफ वोट कहा था। लेकिन डेढ़ वर्ष के शासनकाल में न तो अपराध घटे न अपराधियों का मनोबल।बल्कि सारे अपराधी बहन जी के कारवां की शोभा बढ़ा रहे हैं।
इस डेढ़ वर्ष का अगर लेखा जोखा रखा जाए तो प्रदेश में महिलाएं ही सर्वाधिक असुरक्षित हैं। रोजाना कहीं न कहीं से बलात्कार और महिलाओं के अपहरण की खबरें आती रहती हैं। और तो और राष्ट्रीय राजधानी से सटे और मायावती के गृह जनपद नौएडा में 72 घंटे में बदमाशों ने तीन लड़कियों के अपहरण व बलात्कार किए। इस सबसे इतर चिंता का विषय यह है कि बसपा के माननीय विधायकगण कई सैक्स स्कैंडल्स के मुख्य आरोपी निकल रहे हैं और 'सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय' का नारा देकर सत्ता हथियाने वाली बहन जी की सरकार पूरी ईमानदारी के साथ इन अपराधियों को बचाने का प्रयास भी करती है।
ऐसा क्या है कि जब जब बहन जी जी सत्तारूढ़ होती हैं तब तब बहन जी के माननीय कर्णधार सैक्स अपराधों में जुट जाते हैं। बहुचर्चित मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में सजायाफ्ता माननीय अमरमणि त्रिपाठी आज भले ही समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, परंतु जब उन्होंने इस अपराध को अंजाम दिया था उस समय वे बहन जी की सरकार में मंत्री थे ओर प्रदेश के उन गिने चुने लोगों में शामिल थे जो बहन जी के कुर्क अमीन समझे जाते थे।
ज्ञात रहे कि 9 मई 2003 को लखनऊ के निशातगंज इलाके की पेपर मिल कालोनी स्थित अपने निवास में कवियित्री मधुमिता शुक्ला मृत पाई गई थी और पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि वह गर्भवती थीं। मामला उस समय खूब उछला और मधुमिता के परिजनों ने इस हत्या के लिए सीधे सीधे अमरमणि को जिम्मेवार ठहराया था। लेकिन आरोप है कि सरकार की तरफ से भुक्तभोगी परिवार को जमकर डराया धमकाया गया। परिणाम स्वरूप 15 मई 2003 को मधुमिता के परिवार ने अमरमणि को क्लीन चिट देते हुए बयान जारी कर दिया। बाद में विपक्षी दलों के दबाव में मायावती ने मधुमिता की माँ शांति देवी की अर्जी पर केस की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी। इस बात का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि सीबीआई जांच के आदेश के बाद मधुमिता के परिवार के साथ क्या सुलूक हुआ होगा कि अगली सुबह ही शांति देवी ने मायावती से सीबीसीआईडी जांच की मांग की जबकि सीबीसीआईडी अमरमणि को बचाने का प्रयास कर रही थी।
विपक्षी दलों के बवाल मचाने के बाद अंतत: मायावती ने अमरमणि को मंत्रिमंडल से हटाया और एक प्रेस कांर्फेंस में कहा कि अगर मधुमिता की मां अमरमणि को मंत्रिमंडल में शामिल करने को राजी हो जाएं तो तो वे अमरमणि को पुन: शामिल कर लेंगीं। बताया जाता है कि बहन जी की इस घोषणा के थोड़ी देर में ही शांति देवी ने इस आशय का पत्र सौंप दिया कि उन्हें अमरमणि को पुन: मंत्रिमंडल में शामिल करने में कोई ऐतराज नहीं है। बाद में अमरमणि को इस कांड में सजा हुई। अमरमणि पर 33 मुकदमें हैं।
अमरमणि के बाद बहन जी के नवरत्नों में शामिल राज्यमंत्री आनंद सेन यादव ने भी बहन जी का नाम रोशन किया। जब मंत्रिमंडल का गठन हुआ तो आनंद सेन जेल में थे। विधिवेत्ताओं ने सवाल उठाया कि जेल में बंद आनंद सेन की संवैधानिक स्थिति क्या है?
31 अक्टूबर 2007 को एक दलित छात्रा शशि के पिता जो डीएस-4 के नेता भी हैं, ने फैजाबाद के मंडलायुक्त को प्रार्थनापत्र देकर आनंदसेन पर अपनी पुत्री के अपहरण का आरोप लगाया। बताया जाता है कि 24 वर्षीय शशि फैजाबाद के साकेत महाविद्यालय में विधि की छात्रा थी और 22 अक्टूबर को घर से कालेज गई तो वापिस नहीं लौटी। शशि के पिता ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी को आनंद सेन ने बहाने से ड्राइवर विजयसेन से बुलवाया था और तब से वह गायब थी। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि सरकार आनंद सेन को बचा रही है। बहरहाल बहन जी के नवरत्न फिलहाल इस कांड में मुल्जिम हैं।
कभी टायर पंक्चर जोड़ने का काम करने वाले और अमरमणि के ड्राइवर रहे बहन जी के एक और नवरत्न 'माननीय' श्री भगवान शर्मा उर्फ गुड्डू पंडित भला कहां पीछे रहने वाले थे। पं0 जी पर आगरा विश्वविद्यालय की शोध छात्रा और आगरा कालेज में केमिस्ट्री की प्रवक्ता शीतल बिरला ने प्यार में फंसाने, शादी न करने और उसके साथ बलात्कार करने का आरोप लगाते हुए जिला कांशीरामनगर के कासगंज थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। गुड्डू पंडित को बहन जी की सरकार ने जेड श्रेणी की सुरक्षा से नवाजा है और यह आम चर्चा है कि नौएडा और गाजियाबाद में जमीन के धंधों में सरकार वही करती है जो गुड्डू पंडित कहते हैं।
गुड्डू पर मुकदमा दर्ज कराने वाली शीतल का आरोप है कि माननीय महोदय ने उसके साथ कई जगह ले जाकर बलात्कार किया। शीतल के आरोप पर कासगंज थाने में मुकदमा अपराध सं. 200/8 में धारा 376, 420, 497, 342, 323, 504, 506, 120-बी के तहत मामला दर्ज किया गया। चर्चा है कि गुड्डू को बहन जी के दिल्ली स्थित निवास से पुलिस को ससम्मान सुपुर्द किया गया और उन्हें कोई तकलीफ न होने देने की हिदायत भी पुलिस को दी गई।
कभी भाजपा के बैनर तले मायावती के खिलाफ बिल्सी सुरक्षित सीट से ताल ठोंक चुके बसपा विधायक योगेंद्र सागर का मामला भी बहन जी के अपराधमुक्त प्रदेश और सोशल इंजीनियरिंग का बढ़िया नमूना है। सागर पर एक ब्राह्मण छात्रा का अपहरण करने और कई दिनों तक बंधक बनाकर रखने का आरोप है। पीड़ित छात्रा के परिजनों ने मामले की सीबीआई जांच की मांग की लेकिन बहन जी ने सीबीसीआईडी जांच का आदेश जारी कर दिया। बताया जाता है कि छात्रा ने शपथपत्र देकर सागर के विरूध्द आरोप लगाए लेकिन सीबीसीआईडी ने सागर को दोषमुक्त करार देते हुए अंतिम रिपोर्ट लगा दी।
कभी मुलायम सिंह की नाक का बाल रहे अरूणशंकर शुक्ल अन्ना' पर हालांकि सीधे तो इस तरह का कोई आरोप नहीं है। लेकिन बताया जाता है कि उनके भतीजे पर एक मुस्लिम नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप है। अन्ना मायावती पर 2 जून 1995 को हुए स्टेट गेस्ट हाउस कांड में भी आरोपी हैं।
बस्ती जिले की रामनगर सीट से बसपा विधायक राजेंद्र चौधरी भी ऐसे ही आरोपों से घिरे बताए जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि बसपा की बस्ती जिले की महिला विंग की एक पदाधिकारी ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। लेकिन बाद में अपने इस आरोप को वापिस ले लिया।
जब माननीय ऐसे अपराधों में व्यस्त हैं तो जो माननीय होने से वंचित रह गए भला वे क्यों न अपने दल का नाम रोशन करें । सो मेरठ में बसपा के कैंट विधानसभा क्षेत्र के अध्यक्ष रामकुमार असनाबड़े भी एक यौन अपराध में फंसे हैं। बताया जाता है कि बसपा की ही महिला कार्यकत्री बीना ने कैंट थाने में रपट दर्ज करवा कर आरोप लगाया कि वह तीन अक्टूबर को रामकुमार से उसके सरधना रोड स्थित कार्यालय पर मिलने गई थी जहां उसके साथ रामकुमार ने अश्लील हरकतें की और संबंध बनाने का प्रयास किया। सो अध्यक्ष जी के विरूध्द धारा 34, 294 और 506 में मुकदमा दर्ज किया गया।
ताजा मामला बसपा के एक और बड़े नेता राममोहन गर्ग का है। गर्ग उ.प्र. मत्स्य पालन निगम के अघ्यक्ष पद पर विराजमान हैं। उन पर एक लड़की ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। हालांकि बसपा ने गर्ग से अपना पल्ला झाड़ने का प्रयास किया लेकिन सुबूत तो बसपा के ही खिलाफ हैं।
उत्तर प्रदेश महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रह गया है और अगर कोई नीले झंडे वाला माननीय दिखे तो महिलाओं के लिए दूरी ही भली। इन सारे वाकयों पर एक शायर के लफजों में बस इतना ही-'' जितने हरामखोर थे कुर्ब-ओ-जबार में / सब परधान बनकर आ गए अगली कतार में ।''
-- अमलेन्दु उपाध्याय [ yअह रिपोर्ट प्रथम प्रवक्ता में प्रकाशित हुयी ]


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