शनिवार, 4 अप्रैल 2009

बाप पारसी मां सिख, भाजपा का छद्म हिंदुत्व


बाप पारसी मां सिख, भाजपा का छद्म हिंदुत्व
- अमलेन्दु उपाध्याय-
वरुण गांधी के आग उगलू भाषण पर उनकी बहन प्रियंका गांधी ने बहुत नपे तुले शब्दों में अपने भाई को नसीहत दी, कि भाई वरुण पहले गीता पढो। जाहिर है कि इस नसीहत से हिन्दुओं के स्वयंभू ठेकेदारों को आग बबूला होना ही था। सो रविशंकर प्रसाद ने तुरन्त मोर्चा संभालते हुए फरमान जारी कर दिया कि प्रियंका को हिन्दू धर्म पर बोलने का अधिकार नहीं है।अब चूंकि रविशंकर प्रसाद नागपुरी हिन्दुत्व के प्रमुख ठेकेदारों में हैं, सो उनसे ही सवाल पूछा जाना चाहिए कि भाई साहब, प्रियंका गांधी को किस आधार पर हिन्दू धर्म पर बोलने का अधिकार नहीं है? जाहिर है कि प्रसाद का बयान क्या होगा! यही कि फिरोज गांधी पारसी थे, सोनिया गांधी ईसाई हैं और प्रियंका ने भी ईसाई से विवाह किया है, इसलिए प्रियंका को हिन्दू धर्म पर बोलने का अधिकार नहीं है।बात तो सही लगती है। लेकिन इस आधार पर तो वरुण गांधी को भी हिन्दू धर्म का ठेकेदार बनने की इजाजत नहीं दी जा सकती है। उनके दादा फिरोज गांधी पारसी थे, मां सिख हैं, फिर वरुण को हिन्दुओं की ठेकेदारी नागपुरियों ने कैसे थमा दी? दरअसल अपने नागपुरी भाई भी फर्जी हिन्दू हैं और छद्म साम्प्रदायिक हैं, जो सिर्फ सत्ता पाने के लिए तो हिन्दू होने का चोला ओढ लेते हैं, लेकिन जब जरूरत होती है, तो हिन्दुत्व का चोला उतार फेंकने में तनिक भी देर नहीं लगाते हैं। लेकिन रविशंकर प्रसाद जी ने यह नहीं बताया कि एक सलीम पठान या सलीम पठेरा नाम के व्यक्ति के चचिया श्वसुर को हिन्दुत्व की ठेकेदारी कैसे मिल गई? यह भाजपा की छद्म साम्प्रदायिकता ह,ै कि बाप पारसी, मां सिख, चाचा अकबर अहमद डम्पी, यह है भाजपा का फर्जी हिन्दुत्व।दरअसल नागपुरी भाइयों ने वरुण गांधी का अपने तरीके से प्रयोग कर लिया और अब उन्हें बीच मंझदार में छोड देंगे। वरुण यह नह जानते कि ये नागपुरी जब बलराज मधोक के नहीं हुए, उमा भारती के नहीं हुए, कल्याण सिंह के नहीं हुए, फिर उन वरुण गांधी के कैसें हो जाएंगे, जिनके पिता संजय गांधी ने आपातकाल के दौर में ६० साल से ऊपर के नेकर वालों को पकड-पकडकर जबर्दस्ती नसबंदी कराई थी और जिनसे घबराकर ही नागपुरी भाई आपातकाल को अनुशासन पर्व कहकर माफी मांगने लगे थे। अब नागपुरी भाई संजय गांधी का कुछ न बिगाड पाने की खुन्नस वरुण से पूरी कर रहे हैं और वरुण नादानी में इस चाल को समझ नहीं पाए।वरुण ने अपना राजनीतिक कैरियर अपने हाथों चौपट कर लिया है। जिस रास्ते पर वे चले हैं उस रास्ते से लौट पाना मुमकिन नहंीं। शेर की सवारी करना वरुण को काफी महंगा पडेगा। उन्हें कल्याण सिंह से शिक्षा लेनी चाहिए थी कि किस कदर हिंदू उग्रवादियों का हीरो शेर की सवारी से उतरने के लिए बेताब है, लेकिन उतर नहीं पा रहा। हो सकता है कि आग उगलकर वरुण यह चुनाव जीत जाएं, यह भी हो सकता है कि भाजपा उ०प्र० में दो-चार सीटें और जीत ले और पन्द्रहवीं लोकसभा में उ०प्र० से अपना खाता इकाई से दहाई में भी बदल ले। लेकिन क्या भाजपा वरुण को जिन्दगी भर ढोएगी! बिलकुल नहीं, तब वरुण क्या करेंगे? क्योंकि प्रवीण तोगडया बनकर, या अशोक सिंघल बनकर कुछ समय तक तो सत्ता का मजा चखा जा सकता है, कुछ समय तक हीरो भी बना जा सकता है, लेकिन देश की राजनीति आग उगलकर नहीं की जा सकती। वरना रामरथ के यात्री और साम्प्रदायिकता के अनन्यतम भक्त अडवाणी जी अपनी उन्मादी की छवि से क्यों उबरना चाहते हैं? पाकिस्तानी वेबसाइटों पर उनके विज्ञापन क्या कर रहे हैं?वरुण को यह याद नहीं रहा कि वे उस उत्तर प्रदेश की सरजमीं पर आग उगल रहे हैं जो हिन्दुस्तान की गंगा-जमुनी तहजीब की जमीन है। उ०प्र० गुजरात नहीं है, जहां कोई तोगडया या मोदी एकछत्र राज करता रहे।सत्य को न तो बढाया जा सकता है और न घटाया जा सकता है। अगर सत्य को घटाने या बढाने का प्रयास किया जाता है तो वह सत्य नहीं रह जाता। लेकिन झूठ की कोई इंतिहा नहीं होती, उसे जितना चाहो खींचा जा सकता है। लेकिन अपने नागपुरी भाइयों को सत्य को कम-ज्यादा करने में महारत हासिल है। ये जिसे हरा नहीं पाते, उसे मिलकर, दोस्ती करके हरा देते हैं। और वरुण के मसले पर भी नागपुरी भाइयों ने यही किया है। संजय गांधी का कुछ न बिगाड पाने का मलाल, उन्होंने दूर कर लिया है और एक उभरते हुए नौजवान नेता की राजनीति की हत्या कर दी है। मेनका ने बिल्कुल ठीक कहा है कि उनका बेटा अभिमन्यु की तरह घिर गया है। लेकिन इस अभिमन्यु को धेरने वाले कोई और नहीं उसके शकुनि मामा हैं। वरुण के भाई राहुल ने काफी गम्भीर और विनम्र प्रतिक्रिया देकर सिर्फ इतना कहा कि - वरुण ने हैरान किया है। एक शरीफ बाप का शरीफ बेटा इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकता, समझे ’’वरुण फिरोज गांधी‘‘!!!!!

9 टिप्‍पणियां:

  1. अंकिल ओ अंकिल सुनो ना .. अंकिल... ...

    सुनते ही नहीं हो.. खाली बोलते रहते हो.. अब ये वाले लिंक पर क्लिक करो

    शायद आपको भी मेरे पापा की तरह बहुत सारी बाते पता नहीं है.

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  2. wo wala nahi ye wala link.. http://natkhatbachha.blogspot.com/2009/03/blog-post_31.html

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  3. qurban jaun bhaiya aapke is lekh par.sashtang dandvat karne ko ji chahta hai aapko.kyo ki han hinduo ki thekedari lenewalo ko chelenge di hai aapne.jab election aata hai hamare RAM ko badnam kiya jata hai.unhon ne kabhi ye nahi kaha tha ki mere nam ka sahara lekar jang karo. are vo to khud SATTA chhod gaye the apne pita ka vada nibhane.ye BJP wale kya samjenge?
    aam janta ki ROJI-ROTI ki fikar nahi inhen. Vahan Gujarat me dange karvakar BHAI-BHAI ko ladvaya.Bhai banna hai to Bharat jaise bano,laxman jaise bano.
    Thu hai in par, ab to janta bhi jag gai hai. is bar muh ki khayenge ye log.Dhanyavada aapki Post ke liye.

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  4. "संजय गांधी ने आपातकाल के दौर में ६० साल से ऊपर के नेकर वालों को पकड-पकडकर जबर्दस्ती नसबंदी कराई थी"

    तेले को क्या पस्त एन्द एक्छ्पीरीएंच ए क्या? तूतिया बना लिया है, तुल्कमान गेत बूलगिया? नतबंदी की दलूलत किन्को ए जे बी नई जान्ता?

    बात तो कुच बी नई बोल्लई, तूई बिलबिला रिया ए

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  5. वरुण ने हैरान किया है उनको--और आपने और आपके इस आलेख ने हैरान किया है हमको!! धन्य हैं आप!! और धन्य है आपका विश्लेषण!!

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  6. आप शायद इससे अच्छा नहीं लिख सकते थे इस मुद्दे पर । या तो आप पत्रकार नहीं या रिवोल्यूशन की नई परिभाषा गढ़ने की फ़िराक में हैं । राहुल शालीन पिता की शालीन संतान , सोनिया आदर्श बहू और प्रियंका वेद वेदांत की ज्ञाता । वाकई ये अद्भुत सम्मिश्रण दुर्लभ है । ताम्रपत्र खुदवा कर सैंकड़ों फ़ीट नीचे गढ़वा दीजिये सदियों बाद लोग आपको और आपके इन महानुभावों को याद करेंगे ।

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  7. महासय ,आप के लेख से तो यही लगता है की ,आप तुस्टीकरण और छद्म धरम निरपेछ के मानाने वालों में से है सिर्फ वोटों के लिए ये बात्तें नहीं की जाती ,अगर अयोध्या में मंदिर बनाने की बात होती है तो इसमें बुरा क्या है ?सिर्फ आप जैसों की नसीहत सुनने के लिए सिर्फ हिन्दू ही हैं ?इसलिए आप को कानी आँख से देखने की बजाय,दोनों नेत्रों से देखने की कोसिस तो करनी चाहिए ?दुबई में ''सत्यार्थ प्रकास ''पढ़ के दिखाओ तो जाने ..मुंडी काट दी जाती है !!!समझे

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  8. अमलेन्दु उपाध्य कितने पढे़ लिखे हो तुम ना तो तुम्हें हिन्दी ढ़ग से लिखना आता है और ना इतिहास के बारे में जानते हों फिरोज गांधी पारसी नही मुस्लमान था इतिहास पढो़ चापलुसी छोडो़। जुता चाटने से कुछ नही मिलेगा दिमाग लगाओ देश बचाओ

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  9. (A)dharmnirpekshta ke jhandabardar... jaichand ki agli nasl.. yahi sambodhan aapke liye meri our se...
    ram ram

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