अभी सिर्फ 16 महीने बीते हैं जब वाममोर्चा सरकार के लंबे 34 साल के शासन का, बल्कि एक क्रांतिकारी नाटक का पटाक्षेप हुआ था। यह कोई मामूली घटना नहीं थी। यदि वाममोर्चा का यह लंबा शासन अपने आप में एक इतिहास था तो इस शासन का पतन भी कम ऐतिहासिक नहीं कहलायेगा। वाममोर्चा सरकार के अवसान को सिर्फ ममता बनर्जी और उनकी टोली की करामात समझना या इसे वाममोर्चा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के कुछ भटकावों और कदाचारों का परिणाम मानना इसकी गंभीरता को कम करना और इसके ऐतिहासिक सार को अनदेखा करने जैसा होगा।
पश्चिम बंगाल के बहाने : मुरदे जिंदों को जकड़े हुए हैं …………….
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