सोमवार, 1 जून 2009

ऐसे तो राहुल के लिए दिल्ली बहुत दूर है


ऐसे तो राहुल के लिए दिल्ली दूर है

- अमलेन्दु उपाध्याय, 01-Jun-09
धूमिल ने कभी कहा था -‘भाषा में भदेस हूं/ कायर इतना कि उत्तर प्रदेश हूं’। धूमिल ने जिस कायरता की तरफ इशारा किया था उत्तर प्रदेश की वह कायरता मनमोहन सिंह के मंत्रिमंडल विस्तार में भी साफ साफ दिखी। देश में सर्वाधिक लोकसभा सदस्यों की ताकत रखने वाले उत्तर प्रदेश को एक ऐसे प्रधानमंत्री, जो स्वयं पिछले पांच वर्षों से राज्यसभा का सदस्य है वह भी अपने प्रदेश से नहीं सुदूर असम से, के मंत्रिमंडल में एक भी कैबिनेट मिनिस्टर नसीब नहीं हुआ। उस पर तुर्रा यह कि कांग्रेसी युवराज राहुल गांधी की दूरदृष्टि के कारण कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक बड़ी ताकत बनकर उभरी है। कहा जाता रहा है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। इस देश को उत्तर प्रदेश ने आठ प्रधानमंत्री दिए हैं। तमाशा यह है कि कांग्रेस जिन नेहरू गांधी के नाम की कमाई पिछले साठ वर्षों से खा रही है उन्हें भी उत्तर प्रदेश ने ही दिया है। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश का यह अपमान क्यों? ऐसा भी नहीं था कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के पास ऐसे योग्य लोगों की कोई कमी रही हो जिन्हें कैबिनेट मिनिस्टर नहीं बनाया जा सकता हो। सलमान खुर्शीद कांग्रेस के पुराने आदमी हैं और मनमोहन सिंह की तरह ही जनाधारविहीन स्वामीभक्त कांग्रेसी हैं, नरसिंहाराव सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, और कहने के लिए कांग्रेस का मुस्लिम चेहरा भी हैं, उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता था। श्रीप्रकाश जायसवाल तो मनमोहन सिंह के साथ भी काम कर चुके हैं और विषम परिस्थितियों में भी कानपुर से लगातार जीतते रहे हैं, भले आदमी भी हैं, उन्हें भी कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता था, लेकिन नहीं बनाया गया। इसी तरह बेनी प्रसाद वर्मा केंद्र में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और अवध के इलाके में कांग्रेस अगर अयोध्या/फैजाबाद जैसी सीट जीत सकी है तो वह युवराज के करिश्मे के कारण नहीं बल्कि बेनी प्रसाद के कारण जीती है। बेनी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता था लेकिन नहीं बनाया गया। मोहिसना किदवई तकनीकी रूप से तो छत्तीसगढ़ से राज्यसभा सदस्य हैं लेकिन हैं तो उत्तर प्रदेश से। मोहिसना को मंत्री बनाने से मुस्लिम कोटा, उत्तरप्रदेश कोटा और महिला कोटा तीनों भरे जा सकते थे, लेकिन नहीं भरे गए। यह नाइंसाफी नहीं तो और क्या है कि हिमाचल प्रदेश जैसे चार सांसदों वाले प्रदेश जहां से कांग्रेस सिर्फ एक सीट जीती है, दो कैबिनेट मिनिस्टर बनाए गए हैं। जम्मू कश्मीर जैसे छोटे प्रदेश से भी दो कैबिनेट मिनिस्टर बनाए गए हैं। सीपी जोशी पहली बार सांसद बने और कैबिनेट मंत्री बन गए। बंगाल से आठ मंत्री हैं। क्या उत्तर प्रदेश में कोई कांग्रेसी इस लायक नहीं था कि कैबिनेट मिनिस्टर बनता। उत्तर प्रदेश के साथ इस नाइंसाफी के कारण आम आदमी को भी समझ में आ रहे हैं, जिस कारण की तरफ सोनिया गांधी ने भी खुलकर इशारा कर दिया। मुख्य कारण है कि उत्तर प्रदेश से युवराज राहुल भी जीत कर आए हैं और उन्होंने मंत्री न बनने का महान त्याग किया है। इसलिए उत्तर प्रदेश से कोई कैबिनेट मिनिस्टर नहीं बनाया गया। कांग्रेस के मुंशी और मैनेजर असल में लगातार यह साबित करने का प्रयास कर रहे हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को दो दहाई सीटें राहुल के करिश्माई नेतृत्व के चलते मिली है। यह मुंशीगण कांग्रेस की इस जीत के लिए न ‘मुलायम कल्याण’ की दोस्ती, न मायावती की विफलताओं और अशिष्टता, न अमर सिंह की कारस्तानियों, न वरुण गांधी के जहर उगलू कार्यक्रम को कारण मानना चाहते हैं, और न बेनी प्रसाद वर्मा को अवध में मिली कामयाबी का श्रेय देना चाहते हैं। यह मुंशी मैनेजर सिर्फ राहुल बाबा को बहुत दूरदृष्टि वाला समझदार नेता साबित करना चाहते है। अगर मान भी लिया जाए कि राहुल बाबा बहुत दूरदृष्टि संपन्न नेता हैं और उन्होंने युवाओं को कांग्रेस की तरफ आकर्षित किया है, तो राहुल बाबा का यह आकर्षण दिल्ली से सटी नौएडा सीट पर क्यों नहीं चला जहां अस्सी फीसदी युवा बसते हैं, इसी तरह दिल्ली से लगी उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद, बागपत, अलीगढ़, मेरठ,आदि में भी यह करिश्मा नहीं चला। दरअसल कांग्रेस नेतृत्व कल्पित भय से ग्रस्त है। उत्तर प्रदेश की धरती बडी खतरनाक भी है। यह वही सरजमीन है, जहां से डॉ . राममनोहर लोहिया ने गैर कांग्रेसवाद का नारा बुलंद किया। यहीं एक समाजवादी राजनारायण इंदिरा गांधी को हराकर जाइंटकिलर कहलाया, यह वही धरती है जहां एक विश्वनाथ प्रताप सिंह नाम का कांग्रेस का यसमैन जब विद्रोही बन गया तो उसने राजीव गांधी की सत्ता ही उखाड़ फेंकी। अब कांग्रेस नेतृत्व इस अंदेशे से घबराया हुआ है कि फिर उत्तर प्रदेश में कोई राजनारायण और विष्वनाथ प्रताप सिंह पैदा न हो जाए। लेकिन उत्तर प्रदेश के साथ नाइंसाफी करके कांग्रेस इस प्रदेश में राजनारायण और वीपी सिंह बनने से रोक पाएगी क्या? अगर यह कहावत सही है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है तो कांग्रेस ने राहुल गांधी की मंजिल तय कर दी है और राहुल के लिए दिल्ली बहुत दूर है।
( लेखक राजनीतिक समीक्षक हैं एवं पाक्षिक पत्रिका ‘प्रथम प्रवक्ता’ के संपादकीय विभाग में कार्यरत हैं। )

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