शुक्रवार, 4 सितंबर 2009

कॉरपोरेट वार में फंसी सरकार


कॉरपोरेट वार में फंसी सरकार
प्रदीप सिंह
यह पहला कारपोरेट वार है जब किसी औद्योगिक प्रतिष्ठान ने सीधो सत्ताा को कटघरे में खड़ा किया है। बात पत्राचार और सुलह-सफाई से बाहर निकल कर विज्ञापन वार का रूप ले चुकी है। इस युध्द में प्रतिद्वंद्वी कोई दूसरा नहीं, बल्कि अनिल अंबानी के अपने ही बड़े भाई मुकेश अंबानी हैं।
किसी कारपोरेट हाउस द्वारा किसी सौदे में सीधे सरकार को दोषी ठहराने का यह पहला और अनूठा मामला है। गौरतलब है कि रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेस लिमिटेड के चेयरमैन अनिल अंबानी ने पेट्रोलियम मंत्रालय पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है। जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनटीपीसी को 30,000 करोड़ का घाटा और रिलायंस इंडस्ट्रीस को लगभग 50,000 करोड़ का सुपर नार्मल मुनाफा होने की बात कही गई है। वहीं सरकार को इस पूरे मामले में सिर्फ 500 करोड़ का फायदा होगा। अनिल अंबानी ने विश्व की सबसे बड़े शेयरधारक कंपनी रिलायस अनिल धाीरूभाई अंबानी ग्रुप के 80 लाख शेयर धाारकों की तरफ से इस सौदे के औचित्य पर सवाल खड़ा किया है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि हिन्दी, अंग्रेजी के लगभग सभी समाचार पत्रों में जारी विज्ञापन के जरिए सरकार की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा गया है कि किसी सार्वजनिक उपक्रम जहां सरकार और उस कंपनी का भी घाटा हो रहा हो, तब क्या यह सौदेबाजी देशहित में है।
गौरतलब है कि सार्वजनिक क्षेत्र और नवरत्न की श्रेणी में आने वाला एनटीपीसी मुकेश अंबानी को मिला है। सरकार ने अनिल अंबानी की कंपनी की निविदा को धता बताते हुए बड़े भाई मुकेश अंबानी की कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया। इससे खफा अनिल अंबानी ने इस पूरे मामले में जनहित की दुहाई देते हुए सरकार पर पक्षपात का आरोप लगाया है। घटनाक्रम में नया मोड़ देते हुए अनिल अंबानी ने इससे पहले ऊर्जा मंत्री सुशील कुमार शिंदे को भी पत्र लिखा था जब उनको क(ष्णा-गोदावरी बेसिन से नेचुरल गैस प्लांट लगाने की निविदा ओवर प्राइस लगाने पर भी नहीं दी गई थी। तब भी अनिल अंबानी ने पेट्रोलियम मंत्रालय पर पक्षपात पूर्ण रवैया का आरोप लगाया था। अपनी कंपनी के शेयर धाारकों को संबोधिात करते हुए अनिल अंबानी ने कहा था कि आंधा्र प्रदेश सरकार को वह 2 .34 डॉलर प्रति यूनिट की दर से सप्लाई करेंगे। इस पर भी सरकार का एक पैसा नुकसान नहीं होगा। अनिल अंबानी ने अपने भाई की कंपनी पर गैस के क्षेत्र में एकाधिाकार रखने और उसका दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए मुंबई उच्च न्यायालय की शरण ली थी।
उसके कुछ ही दिनों बाद अनिल अंबानी ने पेट्रोलियम मंत्रालय पर 'प्रधाानमंत्री कार्यालय' को गुमराह करने का आरोप लगाया। रिलायंस कंपनी का यह भी दावा रहा है कि वह सरकार की 'गैस यूटीलाइजेशन पॉलिसी' को पूरा करने में सक्षम है। रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेस का कहना है कि ''पेट्रोलियम मंत्रालय ने जानबूझकर और जल्दबाजी में ऐसा कदम उठाया। वह प्रधाानमंत्री कार्यालय के साथ ही बड़े पैमाने पर जनता को भी गुमराह कर रही है। रिलायंस पीएससी (प्रोडक्शन शेयरिंग कॉट्रेक्ट) जो नेचुरल गैस के लिए होनी चाहिए और गैस यूटीलाइजेशन पॉलिसी को पूरा करने में सक्षम है''
रिलायंस नेचुरल गैस कंपनी का यह भी दावा है कि पेट्रोलियम मंत्रालय की पूरी जानकारी में यह बात है कि गैस सप्लाई के लिए जो समझौता हुआ था वह जून 2006 का है। इसकी कॉपी पेट्रोलियम मंत्रालय को भी सौंपी गयी थी। अनिल अंबानी अपने भाई मुकेश अंबानी के साथ चल रहे कानूनी विवाद के कारण पेट्रोलियन मंत्री मुरली देवड़ा पर पक्षपात करने का आरोप लगाते हैं, जो मुकेश अंबानी के साथ खड़े नजर आते हैं।
हैरतअंगेज बात यह है कि दो कंपनियाें के निजी हितों की लड़ाई में सरकार की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। एक कंपनी सार्वजनिक रूप से अखबारों में सरकार के निर्णय को चुनौती दे रही है। दूसरी तरफ सरकार और दूसरी कंपनी चुप्पी साध कर बैठ गयी है। विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक इस पूरे मामले में सत्ताा पक्ष के साथ-साथ विपक्षी पार्टियों के भी कई नेता शामिल हैं। ऐसे नेता जिनको सत्ताा के गलियारों और समृध्दि की रोशनी में पार्टी का धन प्रबंधाक कहा जाता है।
बीते मानसून सत्र में एनटीपीसी को लेकर विपक्षी भाजपा और सपा के सदस्यों ने संसद में बवाल किया था। लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।
अनिल अंबानी के इस अभियान से कांग्रेस पार्टी में खलबली है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता आर के धवन ने इस मामले में विशेष सावधानी बरतने को कहा है। आर के धवन ने रिलायंस नेचुरल रिसोर्सेस लिमिटेड के विज्ञापन अभियान पर शिंदे को पत्र लिखा है कि अपने विज्ञापन में रिलायंस यह आरोप लगा रहा है कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने एनटीपीसी के हितों के साथ समझौता किया है।
वामपंथी नेता दीपंकर मुखर्जी कहते हैं कि रिलायंस क्या कहता है, इससे मतलब नहीं है। सार्वजनिक उपक्रमों को बेचने का जो सिलसिला चल रहा है और जनता का इससे फायदा बताया जा रहा है, वह इसका नमूना भर है। अब सारे लोग देख समझते हैं कि इसमें किसका लाभ है। जब अनिल अंबानी की कंपनी के पक्ष में यह सौदा नहीं हुआ तब वह देश और जनहित की बात कर रहे हैं।
सीपीआई नेत्री अमरजीत कौर कहती हैं, राष्ट्रहित और जनहित की बात करने वाले अनिल अंबानी ने जब रिलायंस कम्यूनिकेशन शुरू किया था तब आईएसडी कॉल्स को लोकल कर दिया था। जिससे भारत संचार निगम लिमिटेड को 1200 करोड़ की चपत लगायी थी। बीएसएनएल के लाख कहने पर भी वह ने राशि जमा नहीं कर रहे थे। जब ट्राई यह आदेश दिया कि यदि निर्धारित तिथि पर आप यह राशि जमा नहीं करते तो कम्यूनिकेशन में दिया गया आपका लाइसेंस रद्द कर दिया जायेगा। तब अगले ही दिन रिलायंस कम्यूनिकेशन ने बीएसएनएल को 1200 करोड़ अदा किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें